माँ मुझको मत मारो ना अजन्मी ही सही , पर तेरी बेटी हूँ , भूल मुझसे क्या हुई ? बतला दो ना , माँ मुझको मत मारो ना. आने दो मुझको धरा पर , तेरी गोद में खेलूंगी , कभी न सताऊँगी, ये वादा ले लो ना . अवसर जो दिया प्रभु ने , उसको मत छीनो ना , माँ मुझको मत मारो ना. घर के आँगन में ऊधम मचाऊंगी, तेरा खूब दिल बहलाऊँगी , तेरे अनुशासन में रह कर हौले से बढ़ जाऊंगी . बनकर तेरी सहेली माँ मै , तेरा हाथ बटाऊँगी . तुम दिखी उदास अगर तो , मै रो पडूँगी . दुःख तेरे सारे हर लूंगी . मै निर्दोष निहत्थी , तुम ममता की मूरत हो, मै अपूर्ण अरुपा , तुम खिली खिली सी सूरत हो , पुकार मेरी सुन लो ना. माँ मुझको मत मारो ना. पढ़ा लिखा कर मुझको , जीवन के उच्च शिखर पर , तुम पहुंचा देना , गलत करूँ मै तो , मुझको समझा देना . पाकर तेरा स्पर्श माँ मै , ख़ुशबू बन महकूँगी , घर को सुरभित कर दूँगी. भैया के हाथों में राखी बांधूंगी , बहू बनी जिस घर की, घर उसका भी खुशियों से भर दूँगी. माँ बनकर मै कल्पना चावला सी , नाम तेरा जग भर में कर दूँगी. मेरा यकीं कर लो ना , माँ मुझको मत मारो ना. माँ ,लगता है , तुम मुझ पर होने वाले खर्चों से डरती हो , मेरी शादी में तुम खर्च जरा भी ना करना और दहेज़ लोभियों से तुम मेरा ब्याह भी मत करना . मै खुश रहूँगी, मुझको इस जग को समझाना है , इस दहेज़ के दानव ने छीना, हम बेटिओं का आशियाना है , इस कुप्रथा को हर हाल में अब मिटाना है , तुम समझ गयी बोलो ना , मौन अब तोड़ भी दो ना , माँ मुझको मत मारो ना.
Monday, 19 August 2013
माँ मुझको मत मारो ना
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment