Monday, 19 August 2013

माँ मुझको मत मारो ना


माँ मुझको मत मारो ना
अजन्मी  ही सही ,
पर तेरी बेटी हूँ ,
भूल मुझसे क्या हुई ?
बतला दो ना ,
माँ मुझको मत मारो ना.

आने दो मुझको धरा पर ,
तेरी गोद में खेलूंगी ,
कभी न सताऊँगी,
ये वादा ले लो ना .
अवसर जो दिया प्रभु ने ,
उसको मत छीनो ना ,
माँ मुझको मत मारो ना. 
घर के आँगन में ऊधम मचाऊंगी,
तेरा खूब दिल बहलाऊँगी ,
तेरे अनुशासन में रह कर 
हौले से बढ़ जाऊंगी .
बनकर तेरी सहेली माँ मै ,
तेरा हाथ बटाऊँगी .
तुम दिखी उदास अगर तो ,
मै रो पडूँगी .
दुःख तेरे सारे हर लूंगी .
मै निर्दोष निहत्थी ,
तुम ममता की मूरत हो,
मै अपूर्ण अरुपा ,
तुम खिली खिली सी सूरत हो ,
पुकार मेरी सुन लो ना.
माँ मुझको मत मारो ना.
पढ़ा लिखा कर मुझको ,
जीवन के उच्च शिखर पर ,
तुम पहुंचा देना ,
गलत करूँ मै तो ,
मुझको समझा देना .
पाकर तेरा स्पर्श माँ मै ,
ख़ुशबू बन महकूँगी ,
घर को सुरभित कर दूँगी.
भैया के हाथों में राखी बांधूंगी ,
बहू बनी जिस घर की,
घर उसका भी खुशियों से भर दूँगी.
माँ बनकर मै कल्पना चावला सी ,
नाम तेरा जग भर में कर दूँगी.
मेरा यकीं कर लो ना ,
माँ मुझको मत मारो ना.
माँ ,लगता है ,
तुम मुझ पर होने वाले खर्चों से डरती हो ,
मेरी शादी में तुम खर्च जरा भी ना करना
और दहेज़ लोभियों से तुम मेरा ब्याह भी मत करना .
मै खुश रहूँगी,
मुझको इस जग को समझाना है ,
इस दहेज़ के दानव ने छीना,
हम बेटिओं का आशियाना है ,
इस कुप्रथा को हर हाल में अब मिटाना है ,
तुम समझ गयी बोलो ना ,
मौन अब तोड़ भी दो ना ,
माँ मुझको मत मारो ना.

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